जितना किस्मत में है उतना ही मिलेगा, न कम मिलेगा न ज़्यादा मिलेगा

 


जो किस्मत में है वो ही मिलेगा नहीं एक दाना कम मिलेगा न एक दाना ज़्यादा मिलेगा,

सही हदीस है बुखारी की जब बच्चा शिकमे मादर में 120 दिन का होता है, 4 माह शिकमे मादर में होता हे तो उसमें रूह फंकी जाती है,

 तो फरिश्ता आकर उम्र भी लिख जाता हे शाक्यों शहीद भी लिख जाता है और उसका रिज्क भी लिख जाता है, रिज्क जो लिखा गया वो हमें मिलेगा जहां जहां मिलना हे वहां वहां मिलेगा हर हाल में हमें मिलकर रहेगा जो वो हमारे नसीब का रिज्क हे उसके उसूल का जरिया क्या है जरिया ए हलाल मिलता हे या अल्लाह के ज़िक्र को छोड़ने की सजा यह हे कि मिला वही जो नसीब में था।

आज हमारी जिंदगी में अल्लाह का ज़िक्र नहीं करते हम नमाजों की पाबंदी नहीं करते हमें यह सब करना होगा आज मकान पक्के हैं और इरादे कच्चे हैं आज हम कहां खड़े हैं अल्लाह मुआफ़ फरमाए हमे सबको। 

एक टाइम बो भी था जो 313 थे, और सामने तादात लड़ने बालों की बहुत ज्यादा थी, और हम आज करोड़ों की तादात में हैं फिर भी खोआर हैं कहीं न कहीं तो हम गलती कर रहे हिना सोचने की बात हे हमें हमारे आने वाले मुस्तकबिल के बारे में सोचना होगा और बहुत ध्यान से सोचने की ज़रूरत हे,

खाली जलसों से कुछ नहीं होने वाला जबतक हम जलसों की नी को मज़बूत नहीं करेंगे हमे उस चीज़ पर सोचने की ज़रूरत हे जहां से जलसे वाले काबिल होकर निकलते हैं, हमें अपनी जड़े मज़बूत करने की ज़रूरत हे जब तक जड़ मज़बूत नहीं होगी तब तक हम कुछ नहीं कर सकते।

आज हम दुनियां दारी में पड़ चुके हैं, नबी ए करीम saw का कहना हे कि जिस दिन तुम अपने दिल से दुनियां की मोहब्ब और मौत का डर अपने अंदर से निकाल दोगे, उस दिन दुनियां तुम्हारी मुठ्ठी में होगी

अल्लाह हम सबको रहे रास्ते पर चलने की तौफीक अता फरमाए आमीन summa ameen, शुक्रिया 


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