हिदायत गुमराही किसकी तरफ से

हिदायत व हमराही उसी की तरफ से है जिसे चाहे ईमान नसीब करे जिसे चाहे कुफ्र में शामिल करे । वह जो करता है हिक्मत है इंसाफ है मुसलमानों को जन्नत अता फरमाएगा काफिरों पर दोज़ख में अजाब करेगौसका हर काम हिक्मत हे बंदे की समझ में आय या न आय उसकी नेमतें उसके अहसास। बे इंतेहा हैं वही इस लाइक हे उसकी इबादत की जाय उसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं
। #खुदा ताला की तंजीह अकीदा अल्लाह ताला जिस्म व जिस्मानियत से पाक़ हे यानी न वह जिस्म हे न उसमें वह बाते पाई जाती हैं जो जिस्म से ताल्लुक रखती हैं बल्कि यह उसके हक में मुहाल है। लिहाज़ा वह जवाब व मकान तरफ व शक्ल व सूरत, वज़न व मिकदार ज़्यादा व नुक्सान यानी कमी व बेशी व अहबाले जिस्म से मनाजजाह व बरी है और। कुरान व हदीस में जो बाज ऐसे अल्फ़ाज़ आए हैं मसलन यद हाथ वजहीहि चेहरा राजुल पांव ज़हक हंसना वगैरह जिनका ज़ाहिर जिस्मानियत पर दलालत करता है उनके ज़ाहिर मायने लेना गुमराह व बदमजहबी हे इस किस्म के अल्फ़ाज़ में तवील की जाती हे क्योंकि इनका ज़ाहिर मुराद नहीं की उसके हक में मुहाल है मसलन यद की तावील कुदरत से ओर वजहिही की जात से इस्तीबा की गलवा तब्बजो से की जाती है लेकिन बेहतर व असलन यह है की बिला ज़रूरत ताबील भी न की जाए बल्की हक़ होने का यकीन रखे ओर मुराद को अल्लाह के सुपुर्द करे कि वही जाने अपनी मुराद । हमारा तो अल्लाह और रसूल के कोल पर इमान हे की इस्तेबा हक हे यद हक है ओ उसका इस्तेबा मखलूक का सा इस्तेबा नही उसका यद मखलूक का सा नहीं उसका कलाम देखना सुनना मखलूक का सा नहीं।।। पोस्ट अच्छा लगा हो तो शेयर करते रहें

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