अल्लाह ताला पर कुछ वाजिब नहीं
अकीदा, अल्लाह ताला के जिम्में कुछ वाजिब नहीं न सबाब देना न अज़ाब करना न बह काम करना जो बंदे हक़ में मुफ़ीद हो इसलिए की वह मालिक अलल इतलाक़ है जो चाहे करे जो चाहे हुक़्म दे।
सबाब दे तो फ़ज़ल अजाब करे तो अदल। हां उसकी यह मेहरबानी कि वही हुक्म देता है जो बन्दा कर सके। ज़रूर मुसलमानों को अपने फ़ज़ल से जन्नत देगा ओर काफिरों को अपने अदल से जहन्नम में
डालेगा इसलिए कि उसने वादा फरमा लिया है कि क़ुफ़्र के सिवा जिस गुनाह को चाहेगा माफ़ कर देगा और उसके वादे वईद बदलते नहीं इसलिए अजाब व सवाल ज़रूर होगा।
अल्लाह ताला का istigan
अकीदा, अल्लाह ताला आलम से बेपरवाह है उसको कोई नफा नुकसान नहीं पहुंचा सकता। वह जो कुछ करता है उसमें उसका
अपना कोई फायदा या गर्ज नहीं। दुनियां को पैदा करने में न कोई उसका फायदा और न पैदा करने में कोई नुकसान।
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